Saturday, October 24, 2009

Madhushala

1. छोटे से जीवन में कितना,

प्यार करून पी लूं हाला,

आने के ही साथ जगत में,

कहलाया जाने वाला;

स्वागत के ही साथ विदा की,

होती देखि तैयारी;

बंद लगी होने खुलती ही,

मेरी जीवन मधुशाला!!


2. सजें ना मस्जिद और नमाजी,

कहता है अल्लाताला,

सज धज कर पर साकी आता,

बन ठन कर पीने वाला;

शेख कहाँ तुलना हो सकती,

मस्जिद की मदिरालय से;

चिर विधवा है मस्जिद तेरी,

सदा सुहागिन मधुशाला!!


3. यदि इन अधरों से दो बातें,

प्रेम भरी करती हाला,

यदि इन खाली हांथो का जी,

पल भर बहलाता प्याला;

हानि बता जग तेरी क्या है,

व्यर्थ मुझे बदनाम न कर;

मेरे टूटे दिल का है बस,

एक खिलौना मधुशाला!!


4. जितनी दिल की गहराई हो,

उतना गहरा है प्याला,

जितनी दिल की मादकता हो,

उतनी मादक है हाला;

जितनी उर की भावुकता हो,

उतना सुन्दर साकी है;

जितना ही जो रसिक, उसे है,

उतनी रसमय मधुशाला !!


  1. मुसलमान और हिन्दू हैं दो,

एक मगर उनका प्याला,

एक मगर उनका मदिरालय,

एक मगर उनकी हाला;

दोनों होते एक ना जब तक,

मंदिर मस्जिद में जाते;

बैर बढाते मंदिर मस्जिद,

मेल कराती मधुशाला!!


6. मै मदिरालय के अन्दर हूँ,

मेरे हांथों में प्याला,

प्याले में मदिरालय बिम्बित,

करनेवाली है हाला;

इस उधेड़बुन में ही मेरा,

सारा जीवन बीत गया;

मै मधुशाला के अन्दर,

या मेरे अन्दर मधुशाला !!


7. कोई भी शेख नमाजी,

या पंडित जपता माला,

बैर भाव चाहे जितना भी हो,

मदिरा से रखने वाला;

एक बार बस मधुशाला के,

आगे से होकर निकले;

देखूं कैसे थाम न लेती,

दामन उसका मधुशाला!!

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