1. छोटे से जीवन में कितना,
प्यार करून पी लूं हाला,
आने के ही साथ जगत में,
कहलाया जाने वाला;
स्वागत के ही साथ विदा की,
होती देखि तैयारी;
बंद लगी होने खुलती ही,
मेरी जीवन मधुशाला!!
2. सजें ना मस्जिद और नमाजी,
कहता है अल्लाताला,
सज धज कर पर साकी आता,
बन ठन कर पीने वाला;
शेख कहाँ तुलना हो सकती,
मस्जिद की मदिरालय से;
चिर विधवा है मस्जिद तेरी,
सदा सुहागिन मधुशाला!!
3. यदि इन अधरों से दो बातें,
प्रेम भरी करती हाला,
यदि इन खाली हांथो का जी,
पल भर बहलाता प्याला;
हानि बता जग तेरी क्या है,
व्यर्थ मुझे बदनाम न कर;
मेरे टूटे दिल का है बस,
एक खिलौना मधुशाला!!
4. जितनी दिल की गहराई हो,
उतना गहरा है प्याला,
जितनी दिल की मादकता हो,
उतनी मादक है हाला;
जितनी उर की भावुकता हो,
उतना सुन्दर साकी है;
जितना ही जो रसिक, उसे है,
उतनी रसमय मधुशाला !!
- मुसलमान और हिन्दू हैं दो,
एक मगर उनका प्याला,
एक मगर उनका मदिरालय,
एक मगर उनकी हाला;
दोनों होते एक ना जब तक,
मंदिर मस्जिद में जाते;
बैर बढाते मंदिर मस्जिद,
मेल कराती मधुशाला!!
6. मै मदिरालय के अन्दर हूँ,
मेरे हांथों में प्याला,
प्याले में मदिरालय बिम्बित,
करनेवाली है हाला;
इस उधेड़बुन में ही मेरा,
सारा जीवन बीत गया;
मै मधुशाला के अन्दर,
या मेरे अन्दर मधुशाला !!
7. कोई भी शेख नमाजी,
या पंडित जपता माला,
बैर भाव चाहे जितना भी हो,
मदिरा से रखने वाला;
एक बार बस मधुशाला के,
आगे से होकर निकले;
देखूं कैसे थाम न लेती,
दामन उसका मधुशाला!!
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